AD EDUXIAN JOURNAL

(A QUARTERLY MULTIDISCIPLINARY BLIND PEER REVIEWED & REFEREED ONLINE INTERNATIONAL JOURNAL)

YEAR: 2024

E- ISSN:3048-7951

पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी की संस्कृत साहित्य में चिंतनशील विचार, सृजनशील लेखन एवं साहित्यिक योगदान का अवलोकन

Abstract

भारत का वैदिक कालीन इतिहास संस्कृत साहित्य से प्रारंभ हुआ और आज तक भारतवासियों के अन्तर्मन में समाया हुआ है। संस्कृत के श्लोकों में जो स्वर, उतार चढ़ाव आरोह अवरोह गति यति लय ताल आदि हमारे दिल दिमाग को उर्जावान बनाता है वह शायद कोई और दूसरी भाषा में नहीं है। इसी क्रम में भारतीय इतिहास में सैकड़ो साहित्यकार, कहानीकार, रचनाकार, उपन्यासकार, नाटक, कविता आदि साहित्यिक विधाओं में विद्वानों ने अपना योगदान किया है। भारत की आदि भाषा संस्कृत का साहित्य से ही आज हिन्दी का उद्भव एवं विकास विश्व जगत में विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। संस्कृत साहित्य के प्रकांड विद्वानों पंडित रेवाप्रसाद द्विवेदी जी का जन्म मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप स्थित सीहोर जिला में हुआ। वह अपने व्यावसायिक एवं साहित्यिक जीवन का अधिकांश समय वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बिताया और संस्कृत भाषा एवं साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनके द्वारा संस्कृत भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में किए गए उत्थान के कारण इन्हें "सनातन कवि" उपनाम से संबोधित किया गया है। प्रस्तुत आलेख में संस्कृत भाषा , साहित्य एवं उसकी अन्य विधाओं में पंडित रेवाप्रसाद द्विवेदी के चिंतनशील विचार , सृजनशील लेखन एवं साहित्यिक योगदान पर एक वृहद अवलोकन प्रस्तुत किया जा रहा है।

Acceptance: 25/10/2025

Published: 13/11/2025

Writer Name

सुष्मिता सिंह और डॉ. शिवाकांत पाण्डेय

Pages

136-139

DOI Numbers

10.5281/zenodo.17595471