Abstract
संस्कृत साहित्य में व्याकरण शास्त्र का बहुत ही महत्व है व्याकरण शास्त्र को मुख कहा गया है महर्षि पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी नामक ग्रंथ में अंग कार्य के विषय में कहा गया है जब भी धातु से प्रत्यय किए जाएंगे तब प्रत्यय को मान करके जो कार्य किया जाता है वहां अंग कार्य होता है अंग कार्य में वर्ण अक्षर को मान करके नहीं होता है।