मनुष्य ऐसे समाज में रहता है जहाँ लोग अपने-अपने तरीके से भिन्न है जैसे व्यक्तित्व, रंग-रूप, नस्ल जातीयता से सभी मनुष्य को प्रत्येक दूसरे व्यक्ति से अलग बनाती है। हम अपने दैनिक परिवेश में ऐसे व्यक्तियों को भी देखते है जिनका जन्म तो बिल्कुुल सामान्य तरीके से हुआ है परन्तु उनको किसी न किसी तरह से सामाजिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों में मुख्यतः संचार, भावनात्मक, व्यवहार संबंधी विकार, सीखने, शारीरिक और विकास संबंधी कमियाँ देखने को मिलती हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ये विकार अगर शुरूआत स्तर (स्कूली) पर कम कर लिए तो जाये बालक आने वाले समय में बेहतरीन परिणाम प्राप्त कर सकते है। ऐसे बालक-बालिकाओं में छात्र स्तर पर ही शिक्षा का विकास किया जा सके जो छात्रों के आगामी जीवन का समृद्ध बना सके एवं उनके विकास में सहायक बन सके। ऐसी शिक्षा को विशिष्ट शिक्षा का नाम दिया गया है।
डाॅ0 कंचन दीक्षित और विकास कुमार दोहरे
192-197
02.2025-97961747