समावेशी शिक्षा से तात्पर्य- सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना। अर्थात् कोई भी छात्रचाहें वह शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से,सामाजिक रूप से एवं संवेगात्मक रूप से विशिष्टता रखते हुए सामान्य छात्रों के साथ में एक ही कक्षा में शिक्षा ग्रहण करना 'समावेशी शिक्षा’ के अंतर्गत आता है। समावेशी शिक्षा के संदर्भ में पंडित मदन मोहन मालवीय जी के विचार इसकी वर्तमान में प्रासंगिकता को दर्शाते हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय एक शिक्षाविद, महान समाज सुधारक, दार्शनिक, राजनीतिक एवं स्वतंत्रता सेनानी आदि विभिन्न रूपों में अपना योगदान दिया है। जिसमें शिक्षा के संदर्भ मालवीय जी के द्वारा किए गए कार्य शिक्षा जगत में अतुलनीय हैं। मालवीय जी ने छात्रों में मूल्य शिक्षा एवं चरित्र निर्माण पर विशेष बल देते हुए सर्वागीण विकास की बात की है। सभी के लिए शिक्षा की आवश्यकता को अनिवार्य रूप से प्रत्येक छात्र तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करना, उनका एक प्रमुख लक्ष्य था। मालवीय जी का शिक्षा दर्शन शिक्षा के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट करता है, जैसे शिक्षा के विभिन्न स्तर (प्राथमिक से उच्च स्तर), शिक्षा के उद्देश्य पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, शिक्षक की भूमिका आदि के संदर्भ में अपने अमूल्य शैक्षिक विचार दिए हैं। किसी भी छात्र के साथ चाहे वह जाति, लिंग, पंथ आदि किसी भी आधार पर भेदभाव ना हो सके और सभी को शिक्षक प्राप्त हो सके। इसके लिए उन्होंने समावेशी शिक्षा की बात की है। इसी संदर्भ में नई शिक्षा नीति-2020 में भी समावेशी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है प्रत्येक विद्यार्थी की उत्कृष्ट क्षमताओं को पहचानने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को संवेदनशील बनाया जाएगा। शिक्षा को समवर्ती सूची का विषय मानते हुए सभी पाठ्यक्रम, शिक्षणशास्त्र और नीतियों में विविधता व स्थानीय संदर्भ के लिए सम्मान। सभी शैक्षणिक निर्णयों में पूर्ण समानता और समावेश पर फोकस ताकि शिक्षा प्रणाली में सभी छात्रों का विकास सुनिश्चित हो। शिक्षा को अनुसूचित जातियों के बच्चों तक पहुंचना, उनकी भागीदारी बढ़ाना और सीखने के अंतराल को कम करना और अन्य पिछड़ा वर्ग पर विशेष ध्यान केंद्रित करना। आदिवासी समुदायों के बच्चों को लाभान्वित करने के लिए विशेष तंत्र की शुरुआत की जाएगी। शैक्षिक रूप से अविकसित समुदायों से संबंधित बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। दिव्यांग बच्चों को भी अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर प्रदान करने हेतु सक्षम तंत्र बनाया जाएगा। शिक्षा को अनुसूचित जातियों के बच्चों तक पहुंचना,उनकी भागीदारी बढ़ाना और सीखने के अंतराल को कम करना और अन्य पिछड़ा वर्ग पर विशेष ध्यान केंद्रित करना। आदिवासी समुदायों के बच्चों को लाभान्वित करने के लिए विशेष तंत्र की शुरुआत की जाएगी। शैक्षिक रूप से अविकसित समुदायों से संबंधित बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। दिव्यांग बच्चों को भी अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर प्रदान करने हेतु सक्षम तंत्र बनाया जाएगा। सामाजिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग (एसoईoडीoजीo) के अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में विशेष शिक्षा केदो का निर्माण किया जाएगा। बच्चों के शैक्षिक परिदृश्य को बदलने हेतु शिक्षा तंत्र की सभी योजनाओं व नीतियों का पूर्ण प्रयोग किया जाएगा। साथ ही साथ अनेक सुझाव भी दिए गए हैं। अतः स्पष्ट है कि पंडित मदन मोहन मालवीय जी का शैक्षिक दर्शनऔर भारत की शिक्षा पर इसका स्थायी प्रभाव, विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 के संदर्भ में परिदृश्य होती है।
नमिता वर्मा और डॉ० मणि जोशी
257-265
05.2025-83395714